साल 1999 में पटना के पुस्तक मेले में एकलव्य का स्वयंसेवक बनकर गया था। पहली बार रेल की लंबी यात्रा की थी। पहली बार किसी इतने बड़े पुस्तक मेले में जाना…
और पढ़ेंमध्यप्रदेश के खालवा ब्लॉक में स्पंदन समाज सेवा समिति की एक पहल , 500 शब्दों वाला शब्दकोष बनाया राकेश कुमार मालवीय सीमा प्रकाश दो दशक पहले जब कोरक…
और पढ़ेंकिस तरह से याद करें ? 10 दिसम्बर वाले जावेद को याद करें , दस दिसम्बर और उसके पहले के कुछ वक्त तक वाले वाले को याद करें उस जावेद को याद करें जिसके होन…
और पढ़ें- मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले में पुनर्वासित गांव काकड़ी की कहानी , जो पर्यावरण संरक्षण , सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ कैसे खुद अपनी नई इबा…
और पढ़ेंधर्मवीर भारती की कालजयी कृति ' अंधा युग ' का किसी नाट्य समूह द्वारा अरसे बाद उठाया जाना और अपनी पहली ही प्रस्तुति को दर्शकों का हाउस फुल प्या…
और पढ़ेंभोपाल के रंगश्री लिटिल बैले ट्रुप का सभागार। कम ही होता है कि बिना ज्यादा पब्लिसिटी के दर्शकों का हुजूम उमड़ आना , इतना कि बैठने को जगह मुश्किल पड़…
और पढ़ेंहमारा किस्म—किस्म के विरोधाभासों में जीता है। एक यह कि हमारे समाज में नागों की बड़ी धूमधाम से पूजा भी होती है और दूसरी ओर सूरत ढलने के बाद उसका नाम त…
और पढ़ेंबीते चालीस—पचास सालों में सब कुछ कितनी तेजी से बदला ! और इधर के बीस सालों में तो जैसी दुनिया इधर की उधर ही हो गई लगती है। अब फोटोग्राफी को ही लें। ‘…
और पढ़ें“ मेरी नर्मदा अब नहीं रही...पहली परिक्रमा ( 1977) के दौरान नर्मदा वैसी ही थी , जैसी वह सैकड़ों साल पहले थी। मगर अब नर्मदा वैसी नहीं रही। वह झीलों क…
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