धर्मवीर भारती की कालजयी कृति ' अंधा युग ' का किसी नाट्य समूह द्वारा अरसे बाद उठाया जाना और अपनी पहली ही प्रस्तुति को दर्शकों का हाउस फुल प्या…
और पढ़ेंभोपाल के रंगश्री लिटिल बैले ट्रुप का सभागार। कम ही होता है कि बिना ज्यादा पब्लिसिटी के दर्शकों का हुजूम उमड़ आना , इतना कि बैठने को जगह मुश्किल पड़…
और पढ़ेंहमारा किस्म—किस्म के विरोधाभासों में जीता है। एक यह कि हमारे समाज में नागों की बड़ी धूमधाम से पूजा भी होती है और दूसरी ओर सूरत ढलने के बाद उसका नाम त…
और पढ़ेंबीते चालीस—पचास सालों में सब कुछ कितनी तेजी से बदला ! और इधर के बीस सालों में तो जैसी दुनिया इधर की उधर ही हो गई लगती है। अब फोटोग्राफी को ही लें। ‘…
और पढ़ें“ मेरी नर्मदा अब नहीं रही...पहली परिक्रमा ( 1977) के दौरान नर्मदा वैसी ही थी , जैसी वह सैकड़ों साल पहले थी। मगर अब नर्मदा वैसी नहीं रही। वह झीलों क…
और पढ़ेंरविवार सुबह अखबार खोला तो अखबार में रिपोर्टर्स के नाम के साथ उनकी मां के नाम भी नजर आए. ‘मदर्स डे’ पर बायलाइन में मां का नाम जोड़कर सम्मान देने वाल…
और पढ़ेंदेश में अब तक जातिगत आरक्षण , आर्थिक आरक्षण (reservation) की बात होती रही है , लेकिन पहली दफा ऐसा हो रहा है जब सरकारी स्कूलों में पढ़े विद्यार्थि…
और पढ़ें‘ खबर देने के लिए खबर का सहारा लो और खबर पर अपनी ख्याल पेश करते हुए मन में किसी प्रकार का मलाल मत रखो। ‘ - विल्हैम स्टीड - …
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