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विधानसभा चुनाव : बच्चों के लिए जनघोषणा पत्र

हम एक चुनौतीपूर्ण दौर में हैं. इस दौर में यह तय किया जाना है कि हमारे समाज का मूल स्वभाव क्या बने ? इसके लिए अनिवार्यता है कि राजनीतिक दल समाज के मूल विषयों, मुद्दों, चुनौतियों, क्षमताओं और कमजोरियों को संज्ञान में लें और इनके मुताबिक बदलाव और बेहतरी की कार्ययोजना बनाएं. इसके दूसरी तरफ यह तय करना जरूरी है कि संविधान में उल्लिखित मूल्यों – बंधुता, न्याय, स्वतंत्रता और समानता को किस प्रक्रिया से धरातल पर उतारा जाएगा ?


भारत में दलीय राजनीतिक पटल पर पिछले तीन दशकों से “विकास” के वायदे किए जाते रहे हैं. विकास का एक परिणाम यह भी हुआ है कि “राज्य” का दायरा सीमित किया गया और “राज्य से इतर” व्यवस्थाओं को निरंकुशता का अधिकार मिलता गया. मध्यप्रदेश में २७ जिलों में पांच हज़ारों बच्चों से संवाद करने के बाद यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि बच्चों में तो गैर-बराबरी, छुआछूत, गरीबी, हिंसा की भावना नहीं ही है ! उन्होंने चाहे संविधान पढ़ा हो या न पढ़ा हो, वे हमारे संविधान में उल्लिखित मूल्यों को अपने आचरण में जीते हैं और उन पर विश्वास रखते हैं. बेहतर होगा कि अब हम उनकी नज़र और समझ से अपने विकास की नीति और प्रक्रिया तय करें. 

इस लिंक पर क्लिक कर देखें क्या और कैसा है बच्चों के लिए जनघोषणा पत्र

https://drive.google.com/file/d/13CIXr_9Y7x9iYdKakl52Nrdgz_ZBGBS3/view

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