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शादी को भी रोका बांध ने

जमीन डूबने के डर से रिश्तेदारों ने भी किया किनारा

१६ वर्षो से सपना बनकर रह गए युवकों के विवाह ,
इक्का-दुक्का युवकों के ही हुए है विवाह

  महेश्वर से लौटकर, बनालाल सिंह राजपूत,
महेश्वर हायडल प्रोजेक्ट से राज्य की कुछ आबादी को चाहे बिजली मिलने की उम्मीद हो, लेकिन इस प्रोजेक्ट पर कम शुरु होते ही वहां के अविवाहित युवकों की परेशानी खड़ी हो गई है। पाटीदार समाज बाहूल्य इस क्षेत्र में पिछले १६ वर्षो से युवकों की शादी करना महज एक सपना बन गया है। इस बीच में वहां इक्का-दुक्का युवकोण के ही विवाह हो सके है। इस बांध के अंतर्गत डूब में आने वाले ६१ गांवों में निवास करने वाले परिवारों से उनके रिश्तेदारों ने कन्नी काट ली है। कोई भी स्वजाति परिवार वहां के लड़कों को अपना दामाद नहीं बनाना चाहते जबकि लड़कियों की शादी में कोई बाधा नहीं आ रहीं है।

गौरतलब है कि खरगौन जिले के मंडलेश्वर में महेश्वर हायडल प्रोजेक्ट से ४०० मेगावाट बिजली बनेगी । बांध की चपेट में ६१ गांव आ जाएंगे। इस बांध का निर्माण कार्य लगभग पूरा होने की कगार पर है, जिसमें शासन के नियमानुसार इन सभी गांवों का पुनर्वास होना है, लेकिन पुनर्वास में केवल इन गांवों के कृषकों के रहने के लिए आसियाना भर ही मिलेगा। जिससे इनके पास जीविका चलाने का कोई भी साधन नहीं बचेगा। पाटीदार समाज गैर कृषक परिवारों में अपनी लड़की की शादी करना उचित नहीं समझते है। डूब में आने वाले सूल गांव के निवासी शंकर पाटीदार बताते है कि हमारे समाज का जीविका चालने का मुख्या साधन कृषि है। जिसमें बिना कृषि वाले किसान के यहां कोई भी विवाह करने को तैयार नहीं होता है। इससे हामरे गांव सहित आसपास के २२ गांवों में अनेक युवा बिना शादी के ही रह गए है, क्योंकि हमारी जमीन एक या दो साल में डूब क्षेत्र में आ जाएगी। वहीं पथराड़ गांव के लखन बताते है कि डूब क्षेत्र होने के कारन यह स्थिति निर्मित हुई है। समाज की परंपरा अनुसार बिना कृषि वाले लोगों के यहां शादी करना ठीक नहीं माना जाता है। इस समास्या के कारन कई युवा तो यहां से पलायन कर गए है।

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