12 अप्रैल को हिरनखेड़ा में आयोजित स्वराज दिवस समारोह में इस ब्लॉगर की स्पीच।
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इतिहास हमें सीख देता है। इतिहास प्रेरणा देता
है। इतिहास गौरवपूर्ण हो तो वह हमें ताकत भी देता है। कुछ नया करने की। कुछ अच्छा
करने की। समाज में कुछ बदलाव लाने की। हम गौरव कर सकते हैं कि भाग्य ने हमें भारत
माता की गोद दी। भाग्य ने हमें नर्मदा की गोद दी। भाग्य ने हमें ऐसा गांव दिया जिस
पर हम नाज कर सकते हैं। हिरनखेड़ा की धरती पर एक ऐसा तालाब हुआ जिसकी गाथा हमें
तमाम जगह मिलती है। उस परंपरा को हम बचाएंगे। इतिहास ने हमें माखनलाल दादा का
सान्न्ध्यि दिया। उनकी याद को हम संजोए हैं।
Rakesh Kumar Malviya |
हां अब से ठीक सौ बरस पहले। इसी ऐतिहासिक जगह
पर दादा ने एक इतिहास लिखा था। उस इतिहास को हम बचाएंगे। इतिहास ने यहां स्वर्गीय
राजेश्वर गौर जैसे व्यक्तित्व दिए। दीनबंधु साध जैसे कवि दिए जिनकी रची सरस्वती
वंदना को स्कूल—स्कूल गाया जाता था। इस जमीन ने एक ऐसा
वैज्ञानिक भी दिया जिसकी एक खोज देश में ही नहीं दुनिया भर में जानी जाती है। जिस
पर दुनिया नाज करती है, अरुण सोनकिया की यह खोज आज
प्रागैतिहासिक इतिहास की अनमोल धरोहर है, जो
यह बताती है कि दुनिया में सबसे पहले मनुष्य नर्मदा घाटी में ही थे, यहीं सबसे पहली मानव सभ्यता थी। अपनी
इस अनमोल विरासत को हमारी नयी पीढ़ी अपने हाथों संभालने को तैयार है।
हम इस मौके पर याद करना चाहते हैं हमारे पड़ोस
गांव में जन्में हरिशंकर परसाई को, वह
व्यंग्य के ऐसे पुरोधा थे,जिन्होंने व्यंग्य को ही नया आयाम
दिया। हमें याद आते हैं हमारे मन्ना भाई यानी भवानी प्रसाद मिश्र। वह भी इस धरती
पर आया करते थे। उनका साहित्य में योगदान अमिट है। हम याद करना चाहते हैं हमारे
नंदरवाड़ा गांव के कृषि वैज्ञानिक डॉ आरएच रिछारिया को, जिन्होंने हजारों धान की किस्मों का
अनुसंधान और संरक्षण किया,
उनके नाम पर अब रायपुर में कृषि
विद्यालय में एक संग्रहालय और भवन है।
यह धरती उपजाउ धरती है। हमने एक कोशिश की है
अलख जगाने की। हमारा गांव कुछ अनचाही घटनाओं का भी शिकार रहा। हम उन्हें भूलकर एक
नया इतिहास गढ़ने को आतुर हैं। आज की नयी पीढ़ी के हाथों इस धरोहर को सुरक्षित
देखकर आज बेहद खुशी हो हरी है। आज से सोलह बरस पहले एक कमरे की छोटी सी जगह में
शुरू हुई यह कोशिश इतना बड़ा कैनवास रच देगी हमने सोचा भी नहीं था, लेकिन आज हम सोच रहे हैं। हमारी आंखों
में एक सपना है। सपना है कि हमें कुछ बदलना है। हमारे देश की इस माटी ने हमें सब
दिया, पानी दिया, हवा दी, आजीविका का आधार दिया। आज इस धरती ने ही हमें इतना संपन्न बना दिया, जितना कहीं और नहीं दिखता। आज इस धरती
में सोना उगता है।
हमें इस कर्ज को लौटाना है। बस साल में केवल एक
दिन इस मिट्टी के नाम, इस धरा के नाम, इस गांव के नाम, इस तालाब के नाम, हमारे पूर्वजों के नाम, माखन दादा के नाम, ज्यादा दिन बस केवल एक दिवस, स्वराज दिवस, स्वराज दिवस, स्वराज दिवस। अपनी आजादी का दिवस, स्वराज दिवस, अपनी अस्मिता का दिवस स्वराज दिवस।
आपको इस स्वराज दिवस की बहुत—बहुत बधाई, हम सभी को इस स्वराज दिवस की बहुत—बहुत बधाई।
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