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बच्चों के लि‍ए बजट में क्या ?

बच्चे देश की बुनियाद हैं। बच्चे ही बड़े होकर देश का भविष्य बनते और बनाते हैं। बच्चों पर जितना खर्च होगा देश उतना ही मजबूत होगा। बच्चों के विकास के लिए हम पच्चीस साल पहले इंटरनेशनल चाइल्‍ड राइटस कन्‍वेंशन में वायदा भी कर चुके हैं। लेकिन वायदे के कर देने और वायदे के निभाने की मंशा को बजट से समझा जा सकता है। बजट यह भी स्पष्ट करता है कि देश की सरकारें नीतिगत रूप से देश को कहां ले जाती हैं, और उसकी प्राथमिकताएं क्या हैं, इसलिए बजट केवल सांख्यिकी का खेल नहीं होता, लेकिन दुर्भायपूर्ण तरीके से यह बजट बच्चों के नजरिए से कई पैमानों पर खरा नहीं उतरता दिखाई दे रहा है।

पूर्ण बहुमत के बाद सरकार बनाने के बाद मोदी सरकार से अपेक्षा की जा रही थी कि वह अच्छे दिन लाने वाला   बजट अपनी सरकार से पेश करवाएंगे। इस बजट में अच्छे दिन तो नजर आए नहीं, बच्चों के लिए भी कुछ नजर नहीं आया। वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा सदन में पेश किए गए बजट में बच्चों के लि‍ए खासी कटौती की गई है, 81 हजार करोड़ की तुलना में एनडीए सरकार ने बच्चों  सं संबंधित योजनाओं पर केवल 57 हजार 918 करोड़ रुपए का ही प्रावधान कि‍या है, यह पि‍छले साल की तुलना में लगभग चालीस प्रतिशत कम है। 

बाल अधि‍कार, वि‍कास और सुरक्षा के नजरि‍ए से यह उम्मीद की जा रही थी कि‍ सरकार बजट में पर्याप्त प्रावधान करेगी लेकि‍न इस क्षेत्र के बजट की कटौती की गई है, यहां तक कि‍ सर्व शि‍क्षा जैसे अभि‍यान में सरकार ने 5700 करोड़ रुपए की कटौती कर दी है, पि‍छले सालों की तुलना में यह 23 प्रति‍शत की कटौती हैयही नहीं मि‍ड डे मील योजना के बजट को भी सरकार ने 36 प्रति‍शत तक कम कर दि‍या है।

देश में सरकारी शि‍क्षा व्य‍वस्था का हाल वैसे ही बहुत अच्छा नहीं है, सरकार अब तक आधारभूत सुवि‍धाएं भी नहीं उपलब्ध करा पाई है, इसके बावजूद राष्ट्रीय माध्यमिक शि‍क्षा अभि‍यान के बजट में 41.23%. इस साल में की गई है।

देश में बच्चों में कुपोषण के हालात बेहद चिंताजनक हैं, देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश के 48 प्रति‍शत बच्चों के कुपोषि‍त होने की बात स्वीकार की थी, इसके बाद 280 करोड़ रुपए के बजट आवंटन से राष्ट्रीय पोषण मि‍शन का संचालन देश में कि‍या जा रहा है, इस मि‍शन के प्रति‍ भी सरकार ने बेरूखी दि‍खाते हुए केवल 20 करोड़ रुपए की ही बढोत्तरी की है, इससे यही समझा जा सकता है कि‍ कुपोषि‍त बच्चें सरकार के एजेंडे में शामि‍ल हैं या नहीं ?

यही नहीं देश में चलाई जा रही एकीकत वि‍कास परि‍योजना के बजट में सरकार ने भारी कटौती की है। 18 हजार 195 करोड़ रुपए से घटाकर इसे 8335 करोड़ तक सीमि‍त कर दि‍या है, यानी की एक मोटे अंदाज में लगभग 60 प्रति‍शत कटौती की गई है, बात यहीं नहीं रुकती, उस दशा में जबकि‍ बाल मजदूरी, बंधुआ बाल मजदूरी, बाल तस्करी जैसी परि‍स्थिति‍यों से एक बड़ी आबादी गुजर रही है, और इस दि‍शा में कोई उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी नहीं की है। इस वि‍त्तीय वर्ष में यह बजट 400 करोड़ रुपए से बढ़ाकर केवल 402 करोड़ रुपए ही कि‍या गया है।

हां बेटी बचाने की दि‍शा में जरूर सरकार ने अपने बजट में बढोत्‍तरी की है, 50 करोड के आवंटन को बढाकर 100 करोड़ रुपए कर दि‍या गया है, लेकि‍न यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि‍ 100 करोड़ रुपए की राशि‍ क्या, पर्याप्त है।  

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