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त्रासदी


किसी के जन्म से पहले ही बाप छिन जाये तो. सुनकर ही रूह कांप जाती है. अपने मोहल्ले में ऐसा ही हुआ. अपन जहाँ बाल कटवाते हैं वह दो भाइयों की दुकान है. एक भाई नजर नहीं आया तो अपन ने पूछ लिया. दूसरे भाई ने कुछ नहीं कहा. बस फोटो की तरफ इशारा कर दिया. ओह. मैं जिसके बारे में पूछ रहा था वह इस दुनिया में था ही नहीं. फोटो पर टंगी माला  यही बता रही थी.
मैं  अवाक् रह गया.  कुछ नहीं बोल पाया.
उसी ने बात आगे बड़ाई.  'अभी जो बच्ची उसकी मन के साथ यहाँ बैठी थी, वह भाई की बेटी थी.' 
महज १ साल की उम्र और इतनी बड़ी  सजा. 
 क्या पता था अगले पल वह दूसरी त्रासदी सुनाने वाला था.
 'एक और बेटी है. भैया के जाने के आठ दिन बाद पैदा हुई. अपने मामा के यहाँ है. वहीँ भेज दिया.'
मेरे पास शब्द नहीं थी. बस इतना ही पूछ पाया.
'क्या हुआ था उसको ?'
 'लीवर पर सूजन आई और चला गया.'
एक अच्छी बात भी  थी इस बीच.  उस २३ साल की विधवा के भविष्य के लिए भी चिंतित थे वह.  उन्होंने तय  किया था उसकी दोबारा शादी करा देंगे. केवल १ साल तक बच्ची को पालने के बाद.  चलो काम से काम कुछ तो बदलाव कहीं नजर आता है. क्या २०-३० बरस पहले ऐसा सोच सकते थे. आओ दोनों बालिकाओं  के लिए हम प्रार्थना करें. 

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