हाँ कुछ आहट सुनी है मैंने
हाँ कि सांसे सुनी हैं मैंने
गरम अंगारों सी दहकती हुई
पत्थरों के बीच
लगातार पार्श्व से उठते शोरगुल से
परेशां सी हैरान सी
एक अनजाने डर के बीच शहर में बियावान सी
टूटते होसले सी
चटकते विश्वास सी
उत्पाती लोगों सी
धरम के नाम सी...
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