भोपाल 1 जनवरी 2011
यह केवल एक व्यक्ति पर नहीं बल्कि पूरी मीडिया पर हमला है। किसी घटना के कवरेज मात्र से किसी मामले में सहअभियुक्त बना देना मीडिया के संवैधानिक अधिकारों का हनन है। मध्यप्रदेश के पत्रकारों ने शनिवार को आयोजित एक वि6ोष बैठक में इस पर गहरी चिंता जाहिर की है।
उल्लेखनीय है कि गुजरात पुलिस द्वारा लुनावाड़ा नरसंहार मामले में एक गङ्ढे में सामूहिक रूप से दफनाई गई लाशों के एक मामले को कवर करने वाले पत्रकार राहुल सिंह को भी सह अभियुक्त बनाया गया है। पत्रकारों ने इसे गुजरात सरकार का संविधान विरोधी कदम बताकर मांग की है कि इस मामले में पत्रकार राहुल सिंह पर लगाए गए चार्ज वापस लिया जाना चाहिए।
विशेष समूह में आए पत्रकारों ने मांग की है कि मीडिया के अधिकारों को यथावत रखा जाना चाहिए। बैठक में तय किया गया कि इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए स्वतंत्र और मुक्त पत्रकारिता के संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को और ग्रह मंत्री पी चिंदबरम को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की जाएगी। और पूरा मीडिया एकजुट होकर पत्रकारों को उनकी जिम्मेदारी को निभाने से रोकने वाले राज्य की दमनकारी कोशिशों के खिलाफ आवाज उठाएगा। इसके लिए एक हस्ताक्षर अभियान की शुरूआत भी की गई। इसके साथ ही सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी, गुजरात सरकार के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष, मध्यप्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष को भी पत्र लिखकर मांग की जाएगी।
इसके साथ ही इंटरनेट के माध्यम से भी मुहिम छेड़ी जाएगी। मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर से मिलकर इस पूरे मुद्दे को आगे बढ़ाने की अपील भी की जाएगी। इस बैठक में वरिष्ठ पत्रकार लज्जाशंकर हरदेनिया, राजेश पांडेय, राकेश चौधरी, राकेश दीवान, रूबीना खान, एनडी शर्मा, मनोज शर्मा,देवेन्द्र शर्मा, गौरव चंद्रा, अनुराग अमिताभ, अनूप दत्ता, मिलिंद घटवई, देश्दीप सक्सेना, मनोज माथुर, पंकज शुक्ला, संजय सक्सेना, एस नियाजी, रशीद किदवई, एनके सिंह, राकेश दीक्षित, हेमंत शर्मा, ध्रुव सक्सेना, शिवकरण सिंह, सचिन जैन, राकेश मालवीय, प्रशांत दुबे सहित अन्य पत्रकार उपस्थित थे।
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