मित्र अजीत सिंह ठाकुर ने ऑरकुट पर यह एक पोस्ट साझा की है. शिक्षक दिवस के ठीक एक दिन पहले एक शिक्षक की मौत क्या सन्देश दे रही है...कहाँ आ पहुंचे हैं हम - राकेश
होशंगाबाद जिले की पिपरिया तहसील के ग्राम मटकुली में एक व्यक्ति की मौत हो गई. ये कोई साधारण मौत नहीं है, ये मौत करारा तमाचा है हमारे शिक्षातंत्र पर और हमारी व्यवस्था की भयानकतम असंवेदनशीलता की नमूना. ये एक शिक्षक की मौत है. चार महीने से वेतन नहीं मिल पाने की वजह से बीमार सहायक अध्यापक हरिकिशन ठाकुर ने बेहतर इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया. ये उस देश में हुआ है जहाँ गुरु को गोविन्द से बड़ा बताया गया है, जहाँ एक दिन 5 सितम्बर "शिक्षक दिवस" शिक्षको को समर्पित है. ये उस प्रदेश में हुआ जहाँ के माननीय मुख्यमंत्री जी शिक्षक दिवस पर शिक्षको के पैर धोकर उनका सम्मान करते हैं. इस संवेदनहीन व्यवस्था में हम कैसे किसी द्रोण या चाणक्य की उम्मीद कर सकते हैं और जब द्रोण और चाणक्य नहीं होंगे तो अर्जुन और चन्द्रगुप्त की उम्मीद तो बेमानी है. 5 सितम्बर को फिर "शिक्षक सम्मान समारोह" आयोजित किया जा रहा है, तब शायद इस शिक्षक की आत्मा पूछे "इस सम्मान की बजाय समय पर वेतन क्यों नहीं देते ?" सच है - हमारे देश में जीवन की कीमत मौत से कम है क्योकि जहर हो गया सस्ता और महंगे हो गए गेंहू के दाने. जय हिंद.
होशंगाबाद जिले के एक गांव हिरनखेड़ा में जन्म, जहां राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी ने गुरूकुल और स्वतंत्रता संग्राम की गुप्त गतिविधियों के केन्द्र सेवा सदन की स्थापना की थी। अपने गांव से ही संपादक के नाम पत्रलेखन से पत्रकारिता, लेखन और साहित्यिक, सामाजिक गतिविधियों में झुकाव।
गांव से ही हस्तलिखित त्रैमासिक बाल पत्रिका बालप्रयास शुरू की चार साल तक इसका संपादन किया। एकलव्य के साथ जुड़कर बालगतिविधि केन्द्र बालसमूह का संचालन। खेती-किसानी पर काम कर रही संस्था ग्राम सेवा समिति के साथ जुड़ाव व लेखन कार्यशालाओं में सक्रिय भागीदारी। अपने आसपास के मुद्दों पर पत्रलेखन के माध्यम से मुहिम चलाई, इससे कई मुद्दों को हल भी किया गया।
पत्रकारिता में औपचारिक पढ़ाई के लिए माखनलाल राष्ट्रीय पत्रकारिता विवि में दाखिला लिया, प्रथम श्रेणी में डिग्री हासिल की। देशबंधु, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर व राजस्थान पत्रिका भोपाल में रिपोर्टिंग और डेस्क की जिम्मेदारी संभाली।
दैनिक भास्कर डाॅट काॅम के छत्तीसगढ़ हेड के रूप में तीन साल तक जिम्मेदारी निभाई। इन दिनों भोपाल में खबर एनडीटीवी के लिए तीन साल लेखन. सामाजिक शोध संस्था विकास संवाद के साथ जनसरोकार के मुद्दों पर जमीनी काम कर रहे हैं। सामाजिक विषयों पर दस किताबों का संपादन।
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