- राकेश कुमार मालवीय दुनिया भारत को सस्ते श्रम बाजार के रूप में देखती है और भारत का श्रेष्ठी वर्ग आदिवासी, गरीब और पिछड़े इलाकों में इसी सस्ते…
और पढ़ेंस्थिति पूरी साफ नहीं है, लेकिन जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, उन्हें देखकर यह भरोसे से कहा जा सकता है, यह रेलवे ट्रैक के बैठ जाने से हुआ हादसा है। …
और पढ़ेंगढ़ लिए गए हैं कुछ कुतर्क, रंग दी गई हैं तस्वीरें काले रंग से उन्होंने दबा के कुछ गरीबों के मकां को बना लिए हैं आशियाने खूं से। Rakesh Malviya …
और पढ़ेंनिकला था घर से पानी ने मिला लिया, अब सूख रहा हूं कुछ गर्मी से ओढ़ तुम्हारे प्रेम की चादर ! --------------------------------------- अंदर से ब…
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