हे धृतराष्ट्र क्या धृतराष्ट्र होना ही तुम्हारी नियति है। या कभी खोलोगे भी आंखें सच तो यही है राजन कि बेहद जरूरी है अब आंखों पर चढ़ी पट्टी…
और पढ़ेंभाई लोकेन्द्र सिंह को ट की दो मर्मस्पर्शी कविताएं बेचारे रिश्ते रिश्ते पेड़ होते हैं जहाँ पलते हैं ढ़ेरों आपसी संबंधों के घोंसले। पेड़ क…
और पढ़ेंराकेश कुमार मालवीय पानी नहीं होना एक बड़ी चिंता है। गंदा पानी होना उससे भी बड़ी। यह सच है कि हम दूसरे ग्रहों पर पानी की खोजों को अंजाम दे रहे…
और पढ़ेंपापा आज तो फादर्स डे है। लाखों बेटियां अपने माता-पिता की गोद में इठला रही होंगी। उनकी तमाम मांगे कम से कम आज तो पूरी की जा रही होंगी। और मैं... मैं क…
और पढ़ेंस्कंद विवेक सांप्रदायिकता को प्राय: दंगा-फसाद , राजनीति और कानून व्यवस्था से ही जोड़ कर देखा जाता है। जाहिर है सांप्रदायिकता इन्हीं बातों से जुड़ी …
और पढ़ेंराकेश मालवीय दुनिया की सबसे भीषण त्रासदी यानी भोपाल गैस कांड में आखिरकार पच्चीस सालों की न्यायालयीन प्रक्रिया के बाद आखिरकार आरोपियों का दोष …
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