अनुपम मिश्र अब हमारे बीच नहीं हैं। उनके जाने के बाद लोग अपने तई उन्हें याद कर रहे हैं। लेकिन दैनिक भास्कर इस संदर्भ में एक खास मुहिम चला रहा है। पिछले आठ—दस रोज से हर दिन अनुपम मिश्र और उनके पिता भवानी प्रसाद मिश्र के गांव टिगरिया पर रोज लिखा जा रहा है। यह बहुत अच्छी कोशिश है। हमें अपनी विरासत के मूल्य को समझना चाहिए। इस बहाने कुछ ठोस हो सके तो बहुत अच्छा। क्योंकि इस जिले ने माखनलाल चतुर्वेदी, हरिशंकर परसाई और भवानीप्रसाद मिश्र जैसे साहित्यकार दिए।
इस सीरीज को चलाने वाली युवा पत्रकार सुरभि नामदेव बधाई की पात्र हैं।
-राकेश कुमार मालवीय
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