माफ़ करना
सच्चाई सामने है,
माफ़ करना कि सच्चाई
सचमुच सामने है !
यह अलग बात है कि
देखने नहीं उसे हम
याकी बांध दी है
किसी ने पट्टियाँ
आँखें क्या, दिमाग
भी अंधा हो चला !
लेकिन, सच्चाई तो
सच्चाई है
एक दिन तो आनी ही है
सबके सामने !
माफ करना
जी मुझे माफ करना
किन्तु सच्चाई के
आसपास एक घेरा है
काला, घना
तुम्हारी सफ़ेद दाढ़ी से बिलकुल अलग
झक सफ़ेद लिबास में
भी
मंझे हुए
शब्द विन्यास के साथ
झूठ को सच बताने की कला में पारंगत
लेकिन,
जनाब लेकिन माफ़ करना
सच्चाई सामने है
माफ़ करना कि सच्चाई
सचमुच सामने है !
तुमने रात अँधेरे
में
जो पकाई उनके साथ
हांड़ी पर खिचड़ी
बिना चूल्हा जलाये
हाँ कुछ जलने की बू
आ रही है
माफ करना कि सचमुच बू आ रही है !
मैं ही नहीं कह रहा
अब ये
देखो कितनो ने नाकें अपनी सिकोड़ ली है
उनके बुदबुदाते होंठो को देखो
सूंघो
सूँघो कि बू आ रही है !!!
@राकेश
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