भोजन के अधिकार अभियान के बैनर तले हुई अभियान की शुरुआत
शिवपुरी/ भोपाल 10
जुलाई 2015 ।
एक ओर जहां राज्य सरकार ने कुपोषित
बच्चों को अंडा खिलाकर उन्हें सुपोषित करने की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया
है, वहीं दूसरी ओर समुदाय अपनी ओर से बच्चों को अंडा खिलाकर संदेश दे रहे
हैं। शिवपुरी जिले के सिरिपुरा और गणेशखेड़ा गांव में शुक्रवार को ऐसी ही शुरूआत
हुई।
यहां बच्चों के मध्याहन भोजन में उन्हें उबला अंडा खिलाया गया। भोजन के
अधिकार अभियान और स्थानीय सहरिया समुदाय ने बच्चों ने इस अभियान से यह संदेश दिया
कि जो लोग शाकाहारी नहीं हैं उनके लिए अंडा प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों को सबसे
बेहतर सस्ता जरिया है। इसके साथ ही समुदाय ने इस अभियान के लिए चंदा भी जमा किया। शुक्रवार
को दे सौ से ज्यादा बच्चों ने अंडा खाया.
सिरिपुरा गांव में आज माहौल कुछ अलग
था। जैसे ही सहरिया आदिवासी बच्चों और गांव के लोगों को पता चला कि आज यहां पर
अंडा दिया जा रहा है तो वहां धीरे—धीरे बच्चों की भीड़ लग गई। बच्चे लाइन
में लग गए और खिचड़ी और अंडे के लिए उत्सुकता से इंतजार करने लगे। इस अभियान में
शामिल भोजन के अधिकार अभियान के रितिका खेरा और ज्यां द्रेज ने बताया कि यहां पर
विकल्प के रूप में केला भी रखा गया था, लेकिन बच्चों ने अंडे को ज्यादा
प्राथमिकता के साथ खाया। इस अभियान में शामिल हुए। इसमें गर्भवती तथा धात्री
माताएं भी शामिल हुईं।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों मप्र की
आंगनवाड़ियों में अंडे खिलाने के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने
खारिज कर दिया था। इसके बाद इस मुद्दे को मीडिया ने उठाया था। भोजन के अधिकार
अभियान से जुड़े लोगों का कहना था कि मप्र के आदिवासी बाहुल्य और अन्य समुदायों
में जहां कि अंडा खाया जाता है वहां कुपोषित बच्चों को अंडे खिलाना सही साबित हो
सकता है।
भोजन के अधिकार अभियान सी सदस्य आरुषि
कालरा ने कहा है कि बच्चों के भोजन में अंडे को शामिल नहीं करना एक तरह से अन्याय
है।
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