1
प्रेयसी
हां,
तुम मेरी प्रेयसी हो,
किसी बंधन, किसी रिश्ते, किसी छुअन से परे
हां तुम मेरी प्रेयसी हो
शब्दों के आलिंगन की तरह
जो छूते हैं सीधे दिमाग से निकलकर
तह करके रखी हुए हृदय की परतों पर।
2
कहना—सुनना
हम कहेंगे नहीं
वो सुनेंगे नहीं
क्या वो सुनेंगे
क्या हम कहेंगे
कह भी दें तो
सुनें ही न तो
क्या कहें
क्या सुनें
अच्छा है
चुप ही रहें।
3
चार लाइन
तस्वीरें उखड़कर आती हैं इतिहास से
वर्तमान की दर्दीली दीवारों पर
तब भी जब कोई हल्के से
लाइक की बटन को टुनकाता है।
राकेश कुमार मालवीय
28 मार्च 2015
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