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कहां जाओगी गौरेया

 घर के आंगन में सबसे सुलभ
सबसे नजदीक
और सबसे ज्यादा पहचानी वाली है
गौरैया
हां,
शायद सबसे पहले जब हम बच्चे थे
सबसे पहले तुम्हारी ही सुनी थी आवाज
और पास आने की कोशिश भी
लेकिन तुम चतुर, चालाक और सचेत
छोटी उम्र में ही पहचान गई इंसानों की फितरत
बस हर बार हर बार दो कदमों की रह जाती थी दूरी
और तुम हो जाती हो फुर्र
कितनी कवायद की तुम्हें
सिर्फ एक बार पकड़ने के लिए
कभी सूपड़े में डंडा लगा और रस्सी बांधकर
छिप जाने का षडयंत्र
और कभी दाना डालकर बोरे के ​पीछे घंटों इंतजार
सिर्फ इसलिए कि एक बार छूकर देखें
अपनी प्यारी गौरेया
लेकिन इतने सालों बाद तक तुम
कभी पकड़ में न आ सकीं
पास होते हुए भी सबसे दूर तुम
इस बैचेनी में कि तुम्हारे आशियाने हो रहे हैं कम
और शहर में उग आए तुम्हारे बेजान बसेरे
शहर के टॉवरों से उड़ती खतरनाक तरंगे
इन सबके बीच कहां जाओगी गौरेया
 Today is World Sparrow Day.




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1 टिप्पणियाँ

रमेंद्र ने कहा…
Umda lekhan, tasveer bhi achhi